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मौत का कफ सिरप, डॉक्टर पर एफआईआर दर्ज, डॉक्टर गिरफ्तार , सरकार ने जारी की एडवाइजरी

मौत का कफ सिरप, डॉक्टर पर एफआईआर दर्ज, डॉक्टर गिरफ्तार , सरकार ने जारी की एडवाइजरी

द न्यूज 9 डेस्क।जबलपुर। दरअसल 20 सितंबर के बाद से छिंदवाड़ा के अलग-अलग इलाकों में कई बच्चों को सर्दी-खांसी और बुखार की शिकायत आने के बाद इलाज के दौरान उन्हें डॉक्टर द्वारा कफ सिरप दिए गए। इसके बाद कुछ ही दिनों में कई बच्चों को यूरिन आना बंद हो गया और हालत बिगड़ने पर उन्हें छिंदवाड़ा और नागपुर के अस्पतालों में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान 6 बच्चों की मौत हो गई थी। अब तक कृल 11 बच्चों की मौत हो चुकी है।

मामले में अब तक कि जांच और बायोप्सी रिपोर्ट्स इस ओर इशारा कर रही हैं कि बच्चों की किडनी दवा की वजह से फेल हुई है। पानी या किसी इन्फेक्शन में ऐसा कुछ नहीं मिला। आईसीएमआर दिल्ली की टीम ने मौके पर जाकर जांच की है। बच्चों के ब्लड सैंपल पुणे के वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट भेजे गए थे, जिनमें किसी वायरस या बैक्टीरिया की पुष्टि नहीं हुई। इसलिए ड्रग की वजह से किडनी फेल होने की संभावना ज्यादा है।
जिला प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए आपात बैठक बुलाई, जिसमें कलेक्टर के साथ सीईओ जिला पंचायत, सीएमएचओ, मेडिकल कॉलेज डीन, डॉक्टर्स, ड्रग इंस्पेक्टर समेत कई अधिकारी शामिल रहे। इसी बैठक के बाद विवादित कफ सिरप की बिक्री पर बैन लगाने का निर्णय लिया गया।

मध्यप्रदेश में कफ सिरप पीने से मरने वाले बच्चों की मौत का आंकड़ा बढ़कर 11 हो गया है। मामले में दवा बनाने वाली कंपनी पर एफआईआर दर्ज की जा चुकी है।
छिंदवाड़ा में कफ सिरप के कारण बच्चों की मौत का सिलसिल अभी भी जारी है। मामले में शनिवार को दो और बच्चों की मौत हो गई है। अब तक कुल 11 बच्चे खराब सिरप पीने के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं।कलेक्टर ने बताया कि एफआईआर करने के लिए सभी जांच रिपोर्ट्स को दस्तावेज के रूप में एकत्र कर जमा किया गया है। छिंदवाड़ा एसपी से भी इस संबंध में बात हुई है। पुलिस इस मामले में पूरी जांच करेगी। जांच के बाद पता चल पाएगा कि मामले में किसकी, क्या भूमिका रही और कहां लापरवाही बरती गई? प्रारंभिक तौर पर दवा बनाने वाले पर एफआईआर की गई है क्योंकि इसमें तय मानकों से ज्यादा पदार्थ पाए गए हैं।
शनिवार को बडकुही की दो साल की बालिका योजिता ढाकरे का नागपुर में उपचार के दौरान निधन हो गया। बीते 26 दिनों से बालिका नागपुर के निजी अस्पताल में भर्ती थी। शनिवार को एक बजे लता मंगेशकर अस्पताल में बालिका का निधन हो गया। बालिका वेंटिलेटर पर थी। शनिवार को सात बजे बालिका के शव को बडकुही सेंट्रल स्कूल के समीप स्थित घर पर लाया गया। इस मामले में अभी नागपुर में सात और छिंदवाडा में चार बच्चे भर्ती हैं। बच्चों का उपचार चल रहा है।

मौत का कफ सिरफ, डॉक्टर पर एफआईआर दर्ज,

शनिवार देर रात राजपाल चौक, परासिया से डॉक्टर प्रवीण सोनी को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने बताया कि डॉक्टर ने अपने पर्चे में बच्चों को ब्वसकतप िकफ सिरप लिखी थी। अब उन्हीं के पर्चे से यह मामला खुला है कि किस तरह लापरवाही से लिखी गई एक दवा ने मासूमों की जिंदगी छीन ली।

डॉक्टर और कंपनी पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 276, 105 और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 की धारा 27। के तहत मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, इस अपराध में एक साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है।

स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने कहा

स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने कहा, “फिलहाल यह साफ नहीं है कि बच्चों की मौत सिर्फ सिरप की वजह से हुई या किसी अन्य कारण से। जांच जारी है।”
उन्होंने बताया कि मृतकों के परिवारों को 4-4 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जा रही है और मामले में दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।

हालांकि, स्थानीय लोगों और मृतक बच्चों के परिजनों का कहना है कि सिरप पीने के कुछ ही घंटों बाद बच्चों में उल्टी, बेहोशी और सांस लेने में दिक्कत शुरू हो गई थी। इससे साफ है कि सिरप में कुछ गंभीर गड़बड़ी थी।

तमिलनाडु की फैक्ट्री तक पहुंची जांच
छिंदवाड़ा के एसपी अजय पांडेय ने बताया कि यह मामला अब कांचीपुरम (तमिलनाडु) तक पहुंच गया है। वहीं से यह सिरप बनाई जाती थी। शिकायत पर श्रेषन फार्मास्यूटिकल्स कंपनी के खिलाफ भी केस दर्ज कर लिया गया है।
राज्य सरकार ने तमिलनाडु प्रशासन से फैक्ट्री की जांच कराने का अनुरोध किया है।

प्रारंभिक जांच रिपोर्ट शनिवार सुबह ही मिली, जिसमें दवा की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठे हैं। अब जांच एजेंसियां सिरप के सैंपल को लैब में टेस्ट करा रही हैं ताकि यह पता चल सके कि बच्चों की मौत की असली वजह क्या थी।
मामले की पृष्ठभूमि में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का सवाल उठा है. प्रभावित बच्चों को दो मुख्य कफ सिरप दिए गए थे  कोल्ड्रिफ (चेन्नई में बना) और नेक्सट्रो-डीएस (हिमाचल प्रदेश में बना). ये सिरप निजी डॉक्टरों और कुछ सरकारी डॉक्टरों के पर्चे पर उपलब्ध हुए. जांच में पता चला कि इन सिरप में डायथाइलीन ग्लाइकॉल नामक जहरीला रसायन मिला हो सकता है, जो औद्योगिक सॉल्वेंट है और किडनी को नुकसान पहुंचाता है. यह रसायन खाने लायक नहीं होता और इससे किडनी इंजरी होती है. किडनी बायोप्सी रिपोर्ट्स में टॉक्सिन से जुड़ी क्षति की पुष्टि हुई. सरकार ने इन सिरप के पूरे बैच पर रोक लगा दी और मेडिकल स्टोर्स पर जांच अभियान चलाया. दिल्ली के सीडीएससीओ, पुणे के वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट और मध्य प्रदेश सरकार ने सैंपल जांच शुरू की. राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (छब्क्ब्) भी पानी, दवा और अन्य सैंपल इकट्ठा कर जांच कर रहा है. अभी 3 सैंपल की रिपोर्ट आई है, जिसमें टॉक्सिसिटी दिखी, लेकिन बाकी 9 सैंपल की जांच जारी है.

सिरप में डायएथिलीन ग्लाइकॉल की मात्रा अधिक
मध्य प्रदेश सरकार ने श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स के खिलाफ केस दर्ज करवाया है। सरकार ने इससे पहले पूरे राज्य में कोल्ड्रिफ कफ सिरप बेचने पर पाबंदी लगा दी थी। बता दें कि इस सिरप में 48.6 प्रतिशत डायएथिलीन ग्लाइकॉल पाया गया है, जो वास्तव में महज 0.1 प्रतिशत होना चाहिए।

डाइएथिलीन ग्लाइकॉल के बारे में जानिए
मेडिकल रिपोर्ट्स से पता चलता है कि डायथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) और एथिलीन ग्लाइकॉल (ईजी) औद्योगिक रसायन हैं जिनका उपयोग आमतौर पर ब्रेक द्रव, एंटीफ्रीज, पेंट, प्लास्टिक और कुछ घरेलू सामान बनाने में किया जाता है। ये सस्ते और रंगहीन तरल पदार्थ होते हैं, अवैध रूप से दवाओं में प्रोपिलीन ग्लाइकॉल के विकल्प के रूप में उपयोग किया जाता है।
प्रोपिलीन ग्लाइकॉल एक प्रकार का विलायक है जो दवाओं को तरल रूप में घोलने में मदद करता है। हालांकि समस्या यह है कि जहां प्रोपिलीन ग्लाइकॉल नियंत्रित मात्रा में सुरक्षित है, वहीं डीईजी और ईजी को इंसानों के लिए खतरनाक माना जाता रहा है।

कफ सिरप ने ली इन बच्चों की जान
नाम उम्र पता
दिव्यांश चंद्रवंशी 7 वर्ष डुड्डी
अदनान खान 5 वर्ष न्यूटन चिखली
हेतांश सोनी 5 वर्ष उमरेठ
उसैद 4 वर्ष परासिया
श्रेया यादव 18 माह परासिया
विकास यदुवंशी 4 वर्ष दीघावानी
योगिता विश्वकर्मा 5 वर्ष बोरिया
संध्या भोसोम सवा साल परासिया
चंचलेश यदुवंशी — गायगोहान
योजिता ढाकरे दो साल बडकुही

इन सबके अलावा मरीज, डॉक्टर और मेडिकल संचालकों के लिए एडवाइजरी भी जारी की गई है, जिसके अनुसार

-बच्चों को सर्दी या खांसी होने पर तुरंत नजदीकी सरकारी अस्पताल ले जाएं।
-अनधिकृत या अवैध चिकित्सकों से उपचार न कराएं।
-हर छह घंटे में पेशाब की निगरानी करें; यदि बच्चा छह घंटे से अधिक पेशाब नहीं कर रहा है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
-यदि बच्चा उल्टी कर रहा है या बहुत सुस्त है तो तुरंत चिकित्सीय मदद लें।
-बच्चों को पर्याप्त मात्रा में पानी पिलाएं।
-यदि बुखार दो दिन से अधिक रहता है, तो तुरंत उपचार लें।
-जितना हो सके पानी उबालकर पीएं। ताजा खाना खाएं और स्वच्छता का विशेष ख्याल रखें।

मेडिकल संचालकों से कहा गया है कि वे बिना प्रिस्किप्शन के दवा न दें।

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