द न्यूज 9 डेस्क।जबलपुर। श्रीमद् भागवत पुराण को भगवान कृष्ण का साहित्यिक अवतार माना जाता है. श्रीमद् भागवत कथा सुनने से आध्यात्मिक विकास और भगवान के प्रति भक्ति गहरी होती है. श्रीमद् भागवत कथा स्वयं की प्रकृति और परम वास्तविकता के बारे में सिखाती है उक्त उद्गार कटंगी के समीप कांटी ग्राम में आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह के चतुर्थ दिवस कृष्ण जन्मोत्सव के दौरान कथा व्यास आचार्य पंडित वेदांत जी महाराज ने उपस्थित जन समुदाय के समक्ष प्रस्तुत किए।
इसके पूर्व भागवत कथा के मुख्य स्रोतों विजय सिंह राजपूत श्रीमती सरोज राजपूत एवं शिवराज सिंह राजपूत द्वारा व्यास पीठ का पूजन अर्चन किया गया।
कथा व्यास ने कहा कि अहंकार विनाश का कारण है। भागवत कथा मनुष्य को अहंकार रहित जीवन जीने की कला सिखाती है।उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा का सुनने का व्यक्ति जब संकल्प करता है उसी समय परमात्मा उसके हृदय में आकर निवास कर लेते हैं। भगवान की कथा ऐसी है इसका ज्यों-ज्यों पान करते हैं त्यों-त्यों इच्छा बढ़ती जाती है उन्होंने कहा कि कथा रस कभी घटता नहीं निरन्तर बढ़ता रहता है। नित्य नए आनन्द की अभिवृद्धि होती रहती है। श्रीमद् भागवत अध्यात्म दीपक है जिस प्रकार एक जलते हुए दीपक से हजारों दीपक प्रज्जवलित हो उठते हैं उसी प्रकार भागवत के ज्ञान से हजारों, लाखों मनुष्यों के भीतर का अंधकार नष्ट होकर ज्ञान का दीपक जगमगा उठता है। भगवान का आश्रय ही सच्चा आश्रय है। उन्होंने बताया कि द्वापरयुग में जन्में सोलह कलाओं में निपुण भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की कथा का मार्मिक वर्णन किया। भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर पूरा पंडाल फूल मालाओं से सजाया गया जहां पर श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर श्रद्धालू नंद के आनंद भयो जय कन्हैयालाल के जयकारों से गूंजायमान हुआ समूचा प्रवचन पंडाल इसके पश्चात प्रसाद वितरण किया गया।









