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विधानसभा चुनाव 2023 में फिर सिहोरा कांग्रेस को दलगत राजनिति के चलते करना पड़ सकता है हार का सामना, सफेदपोशों की दलगत राजनिति खराब कर सकती है समीकरण

द न्यूज 9 डेस्क।जबलपुर।सिहोरा। दलगत राजनिति की शिकार सिहोरा कांग्रेस को एक बार फिर विधानसभा चुनाव 2023 में मुंह की खानी पड सकती है। और पूर्व में भी दलगत राजनिती की शिकार कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी थी। और इसके बाद भी सबक नहीं ले पाई कांग्रेस फिर उसी मुहाने पर खड़ी है। और आगामी विधानसभा चुनाव 2023 के पूर्व कुछ सफेदपोश फिर सक्रिय होकर अपनी अपनी दुकान जमाने में जोरो से लग कर अपनी रोटी सेकनें के जुगाड़ में लगे है। और जमकर अपनी ढ़पली अपनी राग गा रहे है। सफेदपोशों की दलगत राजनिति चलते इसका सीधा फायदा दूसरे प्रत्याशी को मिलता है। और कांग्रेस बार बार हार का सामना करती है। जिसके चलते जमकर चर्चाओं का बाजार गर्म होता नजर आ रहा है।

नगर में चर्चा जमकर चली हवा परंतु बाद में फुस्स
नगर में जनचर्चा है कि पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था। और उसका मुख्य कारण रहा है। सिहोरा के सफेदपोशो की दलगत राजनिति और छोटे छोटे चाटुकारिता वाले नेताओं ने इपनी रोटी सेकने के चक्कर में विजय प्रत्याशी को चुनाव हरवा दिया और चुनाव के बाद दूसरों पर हार का ठीकरा फोड़ते रहे। और कांग्रेस को इस पर समीक्षा करके कार्य करना था परंतु यह नहीं हुआ और फिर एक बार एकजुटता का नारा लगाने वाली कांग्रेस पूर्व की भाति उसी मुहाने पर खड़ी होती नजर आ रही है।

युवा प्रत्याशियों की चर्चा परंतु दलगत सफेदपोशो की राजनिति खराब कर सकती है समीकरण
नगर में जहां एक तरफ चर्चाओं का बाजार जमकर गर्म है कि सिहोरा विधानसभा क्षेत्र के युवा प्रत्याशियों को अगर पार्टी मौका देती है तो विधानसभा चुनाव कांग्रेस के पालने में होगा। परंतु अचानक चुनाव नजदीक आते कि सक्रिय हुए कांग्रेस के कुछ सफेदपोशों ने अपनी दुकान सजाने का कार्य फिर से शुरू कर दिया है और दुकान सजाने के चक्कर में कांग्रेस के ही कुछ सफेदपोश दूसरे दावेदारों को लेकर विरोध करते नजर आ रहे है ऐसी कुछ खबरे सामने आ रही है। और कोई नए प्रत्याशी को उतारने की बाद चल रही है जो पूर्व में चुनाव हार चुके है या जिन्हे कुछ चैनल सैट करके टिकट मिल जाएगी। जबकी युवाओं के दौर में युवा प्रत्याशियों ने जहां एक तरफ युवाओं के बीच अपनी अलग पहचान बनाई तो वहीं खुलकर टक्कर भी दे सकते है और पालने में जीत का हकदार भी बना सकते है। परंतु अपनी रोटी सेकने वालों को जीत हजम नहीं हो पाएगी जिसके चलते वे अपनी अपनी दुकाने सजाने में लगे है। और एकजुटता को दरकिनार करके यहां वहां कानाफूसी में लगे है। जो चुनावी समीकरण खराब कर सकते है। जिसके चलते फिर कांग्रेस सिहोरा मंे जीत के मुहाने से वापस न आ जाए।

नगराीय निकाय चुनाव में भी देखने मिला था सफेदपोशों का दम
अभी हाल ही में गत वर्ष हुए नगरीय निकाय चुनाव में भी कुछ चहेते चेहरों को सफेदपोशों ने अपनी दलगत राजनिति का शिकार बनाया था और दुकान जमाने के चक्कर में कुछ वार्डो की टिकट अपने चहेते चेहरों को दे दी थी परंतु बाद मंे उन प्रत्याशियों को करारी हार का सामना करना पड़ा था। और कांग्रेस नगर की सरकार से हाथ धो बैठी थी और अब उसके बाद फिर अभी विधानसभा चुनाव में भी वहीं हालात नजर आ रहे है। और जीत एक बार फिर दुकान सजाने वाले सफेदपोशों की भेट चढेगी।

बडे नेताओं के सामने एकजुटता का नारा और सेंक रहे अपनी रोटी

नगर में जब कांग्रेस के बड़े नेताओं का आगमन होता है तो सफेदपोश धारी दिग्गज नेताओं की फौज जमकर एकजुटता का नारा लगाती नजर आती है और मंच से कहते नजर आते है कि आवाज दो हम सब एक है। परंतु बाद में अपनी ढपली अपनी राग में लगकर कार्य करते है और सैंटिंग कैसे बने और जुगाड़ कैसे जमे इसमे लग जाते है और एक दूसरे के ही विरोध में जमकर शब्दवाणों की बौछारें करते नजर आते है।

अगले अंक में नगर में  हो रही जान चर्चाओं  पर आगे और प्रकाशन किया जाएगा

 

 

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