द न्यूज 9 डेस्क। जबलपुर।सिहोरा। पुलिस थाने के पास वार्ड नम्बर 11 में राधे राधे सत्संग महिला मंडल के तत्वावधान में चल रही सप्तदिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन ध्रुव चरित्र,प्रहलाद चरित्र की मीमांसा करते हुए व्यासपीठ से संत प्रवर सियावल्लभ दास वेदांती जी महाराज ने कहा कि सतयुग के दौरान अवधपुरी में राजा उत्तानपद राज किया करते थे। उनकी बड़ी रानी का नाम सुनीति था और उनके कोई संतान नहीं थी। देवर्षि नारद रानी को बताते हैं कि यदि तुम दूसरी शादी करवाओगी तो संतान प्राप्त होगी। रानी अपनी छोटी बहन सुरुचि की शादी राजा से करवा देती है। कुछ समय बाद सुरुचि को एक संतान की उत्पत्ति होती है। जिसका नाम उत्तम रखा। उसके कुछ दिनों के बाद बड़ी रानी भी एक बालक ध्रुव को जन्म देती है। 5 वर्ष बाद जब राजा उत्तम का जन्म दिन मना रहे थे तो बालक ध्रुव भी बच्चों के साथ खेलता हुआ उनकी गोद में बैठ गया, जिस पर सुरुचि उठा देती है और उसे कहती है कि यदि अपने पिता की गोद में बैठना है तो अगले जन्म तक इंतजार कर। बालक ध्रुव यह बात चुभ जाती है और वह वन में जाकर कठिन तपस्या करने लगते हैं। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु उन्हें दर्शन देते हैं और उन्हें मनचाहा वरदान देने का वचन देते हैं। इस प्रसंग से यह शिक्षा मिलती है कि किसी से भेदभाव नहीं करना चाहिए और प्रभु की भक्ति में कोई विघ्न नहीं डालना चाहिए। कथा के पूर्व
मंजू दुबे,निर्मल दुबे,अनीता त्रिपाठी,सरोज शुक्ला,सरोज पटेल,राधिका पटेल,अनीता शुक्ला,पार्वती नायक,पार्वती यादव,मीना पटेल,विनीता दुबे,दीपा तिवारी,संजना पटेल, माधुरी त्रिपाठी,अनीता लखेरा,मंजू मिश्रा,संजना पटेल,मधु ठाकुर आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया।
