द न्यूज 9 डेस्क।जबलपुर।सिहोरा। सिहोरा नगर पालिका द्वारा लोगों से वसूल किए जा रहे संपत्तिकर में भारी गड़बड़ी सामने आ रही है। लोगों की शिकायतों के बाद भी नगर पालिका के राजस्व विभाग के अधिकारियों द्वारा कोई सुनवाई नहीं की जा रही है। इससे आम लोगों में नगर पालिका के प्रति आक्रोश देखा जा रहा है। आम करदाता पर पड़ा भारी बोझ जानकारी के अनुसार जिन संपत्तिधारको का वार्षिक कर 2000-2500 तक था अचानक 1500 तक बढ़ाकर 4000 तक कर दिया?। कचरा संग्रहण रोड नाली प्रकाश व्यवस्था के नाम पर भारी टैक्स तो नगर पालिका वसुल रही है लेकिन बुनियादी सुविधाएं नगर से नदारद है जिसके कारण करदाता अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहा है। संपत्ति कर में बढ़ोतरी करके राशी बसूल रही नगर पालिका-नगर पालिका के राजस्व अमले का कहना है कि नगर पालिका अधिनियम की धारा 127-6 के अनुसार ई नगर पालिका पोर्टल से 5 प्रतिशत संपत्ति कर आरोपित किया गया है। जिसके कारण सभी करदाताओं का कर इस वर्ष बढ़कर आया है। समेकित कर नगर विकास उपकार शिक्षा उपकर कचरा संग्रह सहित संपत्ति कर मूल्य 4800 से अधिक होने पर कर की प्रभावशीलता 4800 से 20000 तक 6 प्रतिशत 20000 से 50000 तक 8 प्रतिशत एवं 50000 से अधिक होने पर 10% संपत्ति कर देय होगा। 11767 संपत्ति दर्ज प्राप्त जानकारी के अनुसार नगर पालिका परिषद सिहोरा के 18 वार्ड में 11767 संपत्ति दर्ज है। लेकिन संपत्ति कर बढाये जाने के संदर्भ में परिषद ने कब प्रस्ताव पास किया इसकी जानकारी ना तो परिषद को है ना ही जनता द्वारा चुने गए जन प्रतिनिधियों को।
गलती विभाग की, भटक रहे करदाता
नगर के वार्डों में आज से कई साल पहले जीआईएस सर्वे के आधार पर लोगों के घरों का क्षेत्रफल निकाला था। इसी आधार पर संपत्तिकर का डिमांड नोट जारी किया जा रहा है, लेकिन इस सर्वे में कई ऐसे लोगों के घरों का क्षेत्रफल जिनके मकान दो या तीन मंजिला है, उनका क्षेत्रफल तीनों मंजिल का एक जैसा दर्शाया गया है। इस कारण से संपत्तिकर भी ज्यादा वसूला जा रहा है। अधिकारी एंव वार्ड पार्षद नहीं दे रहे ध्यान-इस मामले में गलती नगर निगम के राजस्व विभाग की है लेकिन इसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है। वहीं विभागीय सूत्रों का कहना है कि एक बार नगर पालिका की वेबसाइट हैक हुई थी उसके बाद से हर संपत्ति का कर पोर्टल ज्यादा बता रहा है। वार्ड के पार्षदों के साथ साथ अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं मैदानी अमला निकाय की आय बढ़ाने जबरदस्ती करदाता को डिमांड नोट थमा कर लोक अदालत भिजवाने की धमकी दे रहे हैं।
इनका कहना
ई पोर्टल पर यदि कोई टैक्स बढ़ रहा है तो परिषद को उसे नगर एवं जनहित में संज्ञान में लेकर शासन से पत्राचार करना चाहिए। एवं नगर की आर्थिक स्थिति को देखते हुए पुनर्विचार हेतु प्रस्ताव प्रेषित करना चाहिए। बगैर सूचित किया करारोपण करना उचित एवं न्याय संगत नहीं है।
एडवोकेट रमेश पटेल









