द न्यूज 9 डेस्क।जबलपुर।सिहोरा। शिक्षा का व्यापार करने वाले शिक्षा माफिया इन दिनों खितौला सिहोरा में जमकर सक्रिय है और कहीं रोड किनारे तो कहीं घरोें में, कहीं पुराने भवन तो कहीं गलियों में निजी स्कूल चल रहे हैं। खास बात यह कि इन्हें मान्यता भी मिल रही है जबकि मापदंड के आधार पर ये स्कूल चलने योग्य नहीं हैं। न तो पर्याप्त संसाधन ना ही संबंधित आर्हता वाले शिक्षक। फिर भी धड़ल्ले से ऐसे स्कूल खितौला सिहोरा में जमकर संचालित हो रहे है और इनका तो भगवान ही मालिक है। बड़ी बात यह कि विभाग ने केवल कागजी खानापूर्ति के आधार पर ही मान्यता दे दी। कभी भौतिक सत्यापन करने का प्रयास भी नहीं किया। और इन स्कूलों की जानकारी शिक्षा विभाग के अधिकारियों को है या नहीं यह तो भगवान ही जाने।
जबकी स्कूल संचालन की मान्यता के लिए अनेक मापदंडों को पूरा करना होता है जैसे लगभग एक और 2 एकड की भूमि में स्कूल निर्मित हो, पार्किंग और खेल मैदान की सुविधा, प्रत्येक कक्षाओं के लिए अलग कमरा, शिक्षकों की शिक्षा, सहित अनेक अलग अलग मापदंड निधार्रित है परंतु इन सब की धज्जियां उड़ाते हुए चंद कमरों में पुराने भवनों में छोटे छोटे केबिन बनाकर स्कूल संचालित हो रहे है ।
ऐसे करते हैं मान्यता के लिए जुगाड़- मिली जानकारी के अनुसार स्कूल संचालक खेल मैदान के लिए किसी भी व्यक्ति या किसान से उसका खेत लीज पर लेने की नोटरी या शपथ-पत्र दे देते हैं। दूसरा यह कि भले ही उनका स्कूल दो कमरों में चल रहा हो, इसी तरह की एक किराया चिट्ठी अनुबंध-पत्र में लगा देते हैं ताकि कमरों की संख्या बढ़ जाए। साथ ही इसी तरह अन्य नियमों एवं मापदंडों की भी खानापूर्ति हो जाती है। यदि उनका भौतिक सत्यापन हो तो सारी पोल सामने आ सकती है।
संड़क पर खडे करते है स्कूल के वाहन
घरों में सचालित इन निजी स्कूलों के पास कागज में संपूर्ण व्यवस्थाएँ और पर्याप्त संसाधन उपलब्ध है परंतु वास्तव में उन स्कूलों के पास न तो पार्किग है और न खेल मैदान और उन स्कूलों के निजी वाहन प्रमुख मार्गो पर खड़े होकर शोभा बढ़ाते है और कभी जाम भी लग जाता है तो वाहनों को आगे पीछे करके यातायात नियंत्रण करने का बराबर ढोंग भी करते है।
घरों को बनाया स्कूल
प्राप्त जानकारी के अनुसार खितौला सिहोरा में अनेक स्कूल घरों से संचालित हो रहे है और यह सब किसकी मिली भगत और सेंटिंग से चल रहा है इसका भगवान मालिक है। ना तो इन स्कूल संचालकों के पास पर्याप्त संसाधन है। ना ही इन स्कूलों में पार्किग के लिए जगह है और ना ही इन स्कूलों में खेल मैदान है और शिक्षकों की डिग्रियां तो स्कूल प्रबंधन को स्वयं पता नहीं होगी। क्योकि यहां किस हाल में स्कूल का संचालन हो रहा है अधिकरियों को तो इसकी फुर्सत नहीं की देख भी ले।
विकासखंड सिहोरा के अधिकारियों को नहीं फुर्सत की देख ले कहां कैसे संचालित हो रहे निजी स्कूल
सिहोरा खितौला में संचालित हो रहे अनेक निती स्कूलों द्वारा किन मापदंड़ों पर स्कूल का संचालन किया जा रहा है। और किन मापदड़ों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। इन सब को देखने सुनने वाला कोई धनीधोरी नहीं है और न ही इन अधिकारियों को फुर्सत है कि जरा इन शिक्षा माफियों पर भी नजर डाल ले जो स्कूल की आड़ में शिक्षा को व्यापार बनाकर अपनी जेम गर्म कर रहे है। या भी इन अधिकारियों की भी जब गर्म हो रही होगी तब तो इन निजी स्कूल संचालाकों को धड़लले से मान्यता मिल गई और स्कूल भी घरों से संचालित हो रहे है।
जिला शिक्षा अधिकारी ने पहले झाड़ा पल्ला बाद में जांच कराकर कार्यवाही कराने दिया आश्वासन
जिला शिक्षा अधिकारी घन्श्याम सोनी से जब घरों में चल रहे इन निजी स्कूल संचालन के संबंध में जानकारी चाही गई तो उन्होने पहले अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि मुझे इस संबंध में जानकारी तो नहीं है बीआरसी से आप जानकारी प्राप्त कर ले और उसके बाद उनको थोड़ा कुछ समझ आया की शिक्षा विभाग के जिला शिक्षा अधिकारी तो हम स्वंय है। और कार्यवाही तो कुछ किए नहीं है और अभी तक तो खानापूर्ति से ही काम किया है। क्योंकि काफी लम्बे समय से घरों से संचालित हो रहे निजी स्कूलों को एक भी कठोर कार्यवाही विभाग द्वारा नहीं की गई और न कभी औचक निरीक्षण करके देखा गया कि स्कूल प्रबंधन किस स्तर पर कार्य कर रहा है कितनी फीस बसूल रहा है और किस स्तर पर स्कूल संचालित है। पर्याप्त संसाधन है या नहीं शिक्षकों का शिक्षा स्तर क्या है और उन निती स्कूलों का मापदंड पूरा किया जा रहा है या नहीं और फिर ंकहीं आखिर में जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा कि मैं जांच कराकर दिखवाता हूँ और जो वैधानिक कार्यवाही होगी की जाएगी।