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लव जिहाद मामलाः जबलपुर हाईकोर्ट ने लगाई शादी पर रोक, खटाई में पड़ गई शादी

द न्यूज 9 डेस्क।जबलपुर। अंकिता राठौर और हसनैन अंसारी लव जिहाद केस में नया मोड़ आ गया है। मध्य प्रदेश जबलपुर  हाईकोर्ट ने दोनों की 12 नवंबर को होने वाली शादी पर रोक लगा दी है। डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के फैसले पर भी स्टे लगाया है। साथ ही हसनैन अंसारी, राज्य सरकार और जबलपुर कलेक्टर को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है।

हाईकोर्ट ने कहा कि यह मामला पहले ही सिंगल बेंच की बजाय डिवीजन बेंच को भेजा जाना चाहिए था। फिलहाल शादी नहीं होगी और जल्द से जल्द जवाब सबमित किया जाए। जस्टिस सुरेश कुमार और जस्टिस विनय जैन ने यह आदेश दिया। इस तरह यह शादी खटाई में पड़ गई है।

 

सिंगल बेंच ने दिया था यह फैसला
आपको जानकारी के लिए बता दें कि अंकिता राठौर -हसनैन अंसारी ने शादी के लिए कलेक्ट्रेट कार्यालय में आवेदन दिया। इस शादी की खबर लगते ही देशभर के हिंदू राष्ट्रवादी संगठनों ने कड़ा विरोध जताया और हाईकोर्ट में याचिका दायर करके शादी की परमिशन नहीं देने की मांग की। वहीं विरोध और बवाल को देखते हुए अंकिता-हसनैन ने भी शादी करने की परमिशन मांगते हुए याचिका दायर की।

दोनों याचिकाओं पर सुनवाई के बाद 22 अक्टूबर को जस्टिस विशाल धगत की सिंगल बेंच ने फैसला सुनाया। उन्होंने हसनैन अंसारी को सुरक्षा प्रदान करने का आदेश दिया। अंकिता को मां-बाप से दूर नारी निकेतन में अकेले 15 दिन रखने का आदेश दिया। साथ ही अंकिता से किसी को नहीं मिलने देने का निर्देश भी पुलिस को दिया था।

 

अंकिता के पिता के वकील ने पेश की दलील

सिंगल बेंच के इस आदेश के खिलाफ अंकिता-हसनैन ने डबल बेंच को याचिका देकर 12 नवंबर को शादी करने की परमिशन मांगी। जस्टिस सुरेश कुमार और जस्टिस विनय जैन ने सुनवाई के बाद फैसला सुनाया और 12 नवंबर को शादी पर रोक लगा दी। साथ ही सिंगल बेंच के फैसले पर भी स्टे लगा दिया। अंकिता के पिता के वकील अशोक लालवानी ने भी कोर्ट में दलील दी कि विशेष विवाह अधिनियम के तहत हिंदू-मुस्लिम विवाह धर्मांतरण के बिना आगे नहीं बढ़ सकता।
अपनी बात रखते हुए अशोक लालवानी ने लव जिहाद के एक और केस का हवाला दिया। मई 2023 में हाइकोर्ट के जस्टिस आहलूवालिया ने ही एक केस में फैसला दिया था। उन्होंने अपने आदेश में कहा था कि धर्म परिवर्तन किए बिना हिंदू-मुस्लिम शादी हिंदू मैरिज एक्ट के तहत मान्य नहीं है। शादी का रजिस्ट्रेशन भी नहीं किया जाएगा। शादी के बाद लड़की धर्म भी नहीं बदल सकती है। इस दलील के आधार पर हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने अंकिता के केस में फैसला लिया।

क्या है पूरा मामला?
बता दें कि इंदौर की रहने वाली अंकिता राठौर और जबलपुर के सिहोरा के रहने वाले हसनैन अंसारी दोनों ने 12 नवंबर को शादी करने के लिए आवेदन दिया था, जिसका हिंदूवादी संगठनों और लड़की के परिवार ने विरोध जताया था वहीं परिवारजनों ने साफ तौर पर आरोप लगाते हुए कहा था कि हमारी लडकी को लव जिहाद के तहत फसाकर यह शादी की जा रही है। और संगठनों ने कई विवादित बयान दिए। विवाद बढ़ता देखकर हसनैन अंसारी ने शादी की अनुमति के लिए कोर्ट की शरण ली। 4 अक्टूबर 2024 को शादी की परमिशन के लिए याचिका दायर की गई।

7 अक्टूबर को शादी के लिए आवेदन आखिल किया गया और 12 नवंबर की तारीख मिली। 16 अक्टूबर को शादी का नोटिस वायरल हुआ और अंकिता के परिजनों ने उसकी गुमशुदगी की शिकायत पुलिस को दी। 20 अक्टूबर को हैदराबाद के विधायक टी राजा ने एक वीडियो जारी करके शादी का विरोध जताते हुए हिंदुवादी संगठनों को आगे आकर शादी रोकने की अपील की थी । 21 अक्टूबर को शादी के विरोध में सिहोरा के हिंदूवादी नेता और हिंदुवादी संगठनों ने सिहोरा बंद का आव्हान किया था। और 22 अक्टूबर को सिहोरा पूर्णतः बंद रहा। 22 अक्टूबर को हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने फैसला सुनाया। और अंकिता राठौर को 15 दिनों के लिए राजकुमारी बाई नारी निकेतन भेज दिया था। जिसके बाद डबल बैंच ने निर्णय देते हुए शादी पर रोक लगा दी हैं।

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