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झोलाछाप के इलाज से युवती की मौत का मामला, शिकायत के बाद क्लीनिक में जांच टीम का छापा, पीड़ितों ने बताई आपबीती, बांउसर भेजकर पीड़ित परिवार पर दबाब का आरोप, सेंटिग और सौदेबाजी के साथ लीपापोती को गंध

द न्यूज 9 डेस्क।जबलपुर।सिहोरा। जबलपुर जिले की सिहोरा तहसील अंतर्गत एक झोलाछाप डॉक्टर के इलाज से युवती की मौत का मामला प्रकाश में आया था। जिसमें एक लिखित शिकायत रेखा बाई द्वारा अनुविभागीय अधिकारी राजस्व सिहोरा से की गई थी, जिसमें बताया गया कि डॉ आशीष शुक्ला एवं उनके साथ उनका स्टाफ की लापरवाही के कारण दिनांक 1 सिंतबर 2025 की शाम को नगीना पटेल माता रेखा बाई पटैल जो की डॉ आशीष शुक्ला की क्लीनिक जो कि झंडा बाजार में स्थित है। नगीना पटेल को शाम 7 बजे के आसपास अच्छी हालत एवं चलती फिरती अवस्था में रेखा बाई के साथ लेकर आया गया। आशीष शुक्ला एवं उनके स्टाफ की देखभाल में ब्ल्ड की जांच की गई। एवं बोतल एवं दवाई दी गई। उसी समय नगीना को 4 से 5 इंजेक्शन दिए गए और बोतल की स्पीड ज्यादा थी जो कि 15 मिनिट में 900 एमएल की बोतल खाली हो गई। जिसके कारण मरीज ( नगीना) को बेचौनी एवं खून की उल्टियां होने लगी, जिसके कारण मरीज की हालत और ज्यादा नाजुक हो गई और वहीं पर उसकी मौत हो गई,
साथ ही शिकायत में यह भी बताया गया था कि डॉक्टर के द्वारा उनके परिजनों को मजबूर किया गया आप सरकारी अस्पताल ले जाए यहां इलाज नहीं हो पाएगा। एवं उनके स्टॉफ ने स्वयं आटो लाकर मरीज को मृत हालत में सरकारी अस्पताल भेज दिया एवं उनके स्टॉफ ने बोला की आप सरकारी अस्पताल में अंदर लेकर चलो हम आ रहे है। लेकिन वहां कोई भी नहीं आया सरकारी अस्पताल के डॉक्टर ने परीक्षण कर मरीज को मृत घोषित कर दिया था।

लिखित शिकायत के बाद जांच दल का क्लिनिक पर छापा
पीड़ित परिवारजनों की लिखित शिकायत के बाद जगभान शाह उइके, नायब तहसीलदार सिहोरा, डॉ अर्शिया खान, बीएमओ सिहोरा, डॉ. सुनील लटियार, प्रभारी अधिकारी, शासकीय सिविल अस्पताल सिहोरा, प्रीती साहू, सिहोरा पटवारी द्वारा पुष्पेन्द्र अहके, अनुविभागीय अधिकारी राजस्व सिहोरा के आदेश के परिपालन में गठित दल के द्वारा दिनांक 09/09/2025 को उमा क्लीनिक वार्ड नं. 04 झण्डा बाजार सिहोरा में उपस्थित होकर जांच की गई। मौके पर जांच में पाया गया कि एईआरबी का पंजीयन वर्ष 2020 का होना पाया गया जो वर्तमान में एक्सपायर पाया गया एवं मेडिकल स्टोर्स उमा मेडिकेयर का पंजीयन 28/07/2025 तक का पाया गया जिसके नवीनी करण का आवेदन किया जाना संचालक डॉ. आशीष शुक्ला द्वारा बताया गया। मौके पर ओपीडी के प्रतिदिन संचालन की कोई पंजी नहीं पायी गई। बीएमडब्लू का संधारण नियमानुसार नहीं किया जा रहा है, और ना ही इस संबंध में कोई पंजीसंधारित की गई है।

झोलाछाप के इलाज से युवती की मौत का मामला, शिकायत के बाद क्लीनिक में जांच टीम का छापा, पीड़ितों ने बताई आपबीती, बांउसर भेजकर पीड़ित परिवार पर दबाब का आरोप, सेंटिग और सौदेबाजी के साथ लीपापोती को गंध
झोलाछाप ने बचने खड़ा कर दिया दूसरा डॉक्टर
जांच टीम के सामने उक्त झोलाछाप डॉक्टर ने दूसरे डॉक्टर जिसका नाम सत्येन्द्र सिंह बताया की इनके द्वारा नगीना पटेल का इलाज किया गया परंतु झोलाछाप की चालबाजी वहां काम नहीं आई और पीड़ित परिवार जनों ने जांच दल के सामने ही स्पष्ट कर दिया की मृतक नगीना पटैल का इलाज डॉ आशीष शुक्ला द्वारा किया गया हैं

झोलाछाप के इलाज से युवती की मौत का मामला, शिकायत के बाद क्लीनिक में जांच टीम का छापा, पीड़ितों ने बताई आपबीती, बांउसर भेजकर पीड़ित परिवार पर दबाब का आरोप, सेंटिग और सौदेबाजी के साथ लीपापोती को गंध

पीड़ित परिवारजनों ने बताई आपबीती टीम के समक्ष दर्ज कराए वीडियो में बयान
जांच दल के सामने पीड़ितों ने अपने बयान विडियों रिकार्डिंग में दर्ज कराते हुए बयान में पीड़ितों ने बताया कि शाम के लगभग 5.00 बजे पुत्री नगीना लोधी उम्र 21 वर्ष की घबराहट होने से डॉ. आशीष शुक्ला के अस्पताल लेकर आये वहां उपस्थित डॉक्टर आशीष शुक्ला के द्वारा बाटल लगाया एवं बाटल में पांच इजेक्शन लगाया तो लड़की को बैचेनी होने लगी तो मेरे द्वारा ( मृतिका की माँ ) रेखा बाई डॉक्टर से बाटल निकाल देने कहां गया तो डाक्टर के द्वारा बोला गया बाटल लगी है नशा जैसा आयेगा लड़की सो जाएगी। लड़की बैहोस हो गई हिल डुल रही थी तब डॉक्टर ने कहा कि हमारे पास ऑक्सीजन नहीं है तुम सरकारी अस्पताल लेकर जाओ लड़की के मुंह से खून जैसा निकला डॉक्टर के द्वारा ईलाज करने से पहले मुझसे 5000/- ( पांच हजार रूपये) लिये थे. एवं दवाई के 1400/- रूपये एवं खून जांच के 950/- रूपये लिये थे। और डॉक्टर ने ऑटो बुलाबाकर ऑटो से सरकारी अस्पताल भेज दिया और बोला की चलो हम भी आते है और कोई नहीं आया और जब शासकीय अस्पताल सिहोरा में डॉक्टर के द्वारा परीक्षण कर बताया गया कि आपकी पुत्री की मृत्यु हो गई हैं।

झोलाछाप का चालबाजी वाला खेल और बयान
उक्त जांच दल के सामने उमा मेडीकल एवं उमा क्लीनिक संचालक झोलाछाप डॉक्टर आशीष शुक्ला ने अपने बयान दर्ज कराकर बताया कि उसकी मेडिकल उमा मेडिकल के नाम से वार्ड नं. 04 झंडा बाजार सिहोरा में उमा क्लीनिक के बाजू में हैं। दिनांक 01/09/2025 को रेखा बाई लोधी उसकी बीमार पुत्री नगीना को लेकर लगभग 06.30 बजे शाम को उमा क्लीनिक में लेकर आयी डॉ. सत्येन्द्र सिंह के द्वारा देखा गया डॉक्टर के द्वारा मरीज का खून जांच के लिये कहा गया खून जांच हेतु रेखा बाई के द्वारा मना किया गया और बोला ईलाज चालू करो, उसके द्वारा बताया गया कि चार जगह ईलाज कराया गया है, 15 दिनों से बीमार होना बताया गया डॉ. सत्येन्द्र सिंह के द्वारा खून की जांच जोर देकर करवाया। उसकी आंखे पीली हो चुकी थी सांस फूलना घबराहट सीने में दर्द बहुत ज्यादा था। डॉ. सत्येन्द्र सिंह के द्वारा ईलाज करने से मना किया खून जांच करवाये जिसके 950/-रूपये जमा करवाये एक्सरे के 300/- रूपये एवं खून जांच के 650/- रूपये) इसके अलावा कोई पैसा जमा नहीं कराया गया खून जांच कराने के बाद एक्सरे के समय लड़की खड़ी नहीं हो पा रही थी डॉ. सत्येन्द्र सिंह के द्वारा रिफर कर दिया गया। उक्त झोलाछाप के कथनों को जांच दल के सामने ही पीड़ित परिवारजनों ने स्पष्ट तौर पर गलत बताया और स्पष्ट तौर पर डॉक्टर आशीष शुक्ला के द्वारा ही इलाज, और इंजेक्शन लगाने और ऑटो बुलाकर सरकारी अस्पताल भेजने की बात साफ कर दी । और बताया कि उक्त झोलाछाप द्वारा ही हमारी लड़की का गलत इलाज कर मौत के घाट उतार दिया गया।

बांउसर को भेजा पीड़ितजनों के घर, बीच का रास्ता निकालने और डॉक्टर के आत्महत्या की धमकी

जांच दल के सामने एक बात और सामने आई जो मृतिका के भाई मुन्ना पटेल द्वारा जांच दल को बताया गया कि उक्त शिकायत के बाद झोलाछाप डॉक्टर आशीष शुक्ला ने अपने बाउंसर राकेश पटेल को हमारे घर भेजा था जो बार बार कॉल करके पता पूछते हमारे घर तक पहंुचा और शिकायत वापस लेने दबाव बनाता रहा और हमारे मना करने पर डॉक्टर द्वारा टेªन से कटकर आत्महत्या कर लेने की धमकी देता रहा और कहता रहा जो होना था हो गया जो जाना था चला गया लड़की के नाम कुछ कर देगे या आप बताओं बीच का कोई रास्ता निकालते है।

सिहोरा के पत्रकारों को बताया ब्लैकमेलर
मृतिका के भाई ने जानकारी में बताया की उक्त जो डॉक्टर का बांउसर है। राकेश पटैल द्वारा सिहोरा के पत्रकारों को ब्लैकमेलर बताते हुए कहा कि यहां के पत्रकारों के पेपर लेना पड़ता है। और विज्ञापन देना पड़ता है नहीं करते तो यहां के पत्रकार ब्लैकमेल करते है। और डॉक्टर को सिहोरा के पत्रकारों द्वारा ब्लैकमेल करके विज्ञापन लिए जाते है। और डॉक्टर को चूस रहे है। सिर से पैर तक डॉक्टर कर्ज में है। आप रहम करो शिकायत वापस लेलो,

झोलाछाप के इलाज से युवती की मौत का मामला, शिकायत के बाद क्लीनिक में जांच टीम का छापा, पीड़ितों ने बताई आपबीती, बांउसर भेजकर पीड़ित परिवार पर दबाब का आरोप, सेंटिग और सौदेबाजी के साथ लीपापोती को गंध

क्लीनिक खुद चलाता है। और दूसरे का नाम
नगर में ऐसी चर्चा है कि उक्त डॉक्टर आशीष शुक्ला खुद क्लीनिक चलाता है और जांच टीम को भी अपने आप को उमा क्लीनिक का संचालक बताया है और अनेकों बार क्लीनिक में खुद ही एक्सरे और दवाईयां लिखते देख गया है। और कोई हादसा होता है। तो दूसरे डॉक्टर को ढाल बनाकर आगे कर देता है। जांच दल के सामने शिकायतकर्ता ने डॉ सत्येन्द्र सिंह को पहचानने से ही इनकार कर दिया था, कि इन्होने नहीं डॉ आशीष शुक्ला ने इलाज किया है। और शिकायकर्ताओं ने इलाज करने वाले डॉक्टर के घर का रहवासी पता करके उक्त डॉक्टर के घर वार्ड नं.11 तक गए थे तो डॉ सत्येन्द्र सिंह कहां से आ गए जबकि उनकी कोई शिकायत और ना ही शिकायत में नाम था।

झोलाछाप के इलाज से युवती की मौत का मामला, शिकायत के बाद क्लीनिक में जांच टीम का छापा, पीड़ितों ने बताई आपबीती, बांउसर भेजकर पीड़ित परिवार पर दबाब का आरोप, सेंटिग और सौदेबाजी के साथ लीपापोती को गंध

अगर शिकायत झूठी तो डर काहे का
वहीं पीड़ित जनों ने सीधे तौर पर आरोप लगाते हुए बताया कि हमारे द्वारा डॉक्टर आशीष शुक्ला की शिकायत की गई तो डॉक्टर आशीष शुक्ला द्वारा राकेश पटैल को घर क्यों भेजा गया और बार बार शिकायत वापस लेने दबाव क्यों बनाया गया और पैसों से सौदेबाजी करने की बात क्यों की गई, अगर शिकायत झूठी है। तो डर काहे का

झोलाछाप के इलाज से युवती की मौत का मामला, शिकायत के बाद क्लीनिक में जांच टीम का छापा, पीड़ितों ने बताई आपबीती, बांउसर भेजकर पीड़ित परिवार पर दबाब का आरोप, सेंटिग और सौदेबाजी के साथ लीपापोती को गंध

जांच में लीपापोती की आ रही गंध
वहीं नगर में ऐसी चर्चा है कि इसके पूर्व में भी इस झोलाछाप डॉक्टर द्वारा अनेकों काले कारनामों को अंजाम दिया गया है। और हादसा होने के बाद दूसरे डॉक्टर का सहारा और सेंटिग में लग जाता है। जिसपर इस बार फिर जांच अधिकारियों द्वारा घटना के लगभग 15 दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक कोई कार्यवाही ना किए जाने और खानापूर्ति तक कार्यवाही सिमट जाने की बात सामने आ रहा है। जो नगर में जन चर्चा का विषय बनी हुई है। नगर में चर्चा का बाजार जमकर गर्म है कि डॉ सत्येन्द्र सिंह उक्त घटना के दिन मौजूद नहीं था अगर आसपास के सीसीटीव्ही कैमरों से जांच पड़ताल की जाए तो सच अजागर होते समय नहीं लगेगा, और क्लीनिक में इलाज कौन करता है यह भी उजागर हो जाएगा। क्योकि जब एमबीबीएस डॉक्टर इलाज करता तो इलाज की पर्ची देने में डर क्या, दी गई दवाईयों की जानकारी देने में डर क्या, सौदेबाजी के लिए पीड़ित के घर व्यक्ति को क्यों भेजा गया, स्वंय ऑटो बुलाकर सरकारी अस्पताल क्यों भेजा गया, और डॉक्टर द्वारा इलाज नहीं किया जा सकता और संसाधन उपलब्ध नहीं थे तो इलाज क्यों किया गया, ऐसे अनेक सवाल नगर में चर्चा का विषय है।

मौतों पर सौदेबाजी का खेल क्यों
परिवारजनों ने साफ तौर पर आरोप लगाते हुए कहा कि अगर डॉ आशीष शुक्ला सही था तो मौत पर सौदेबाजी के लिए अपने व्यक्ति को हमारे घर क्यों भेजा, किए गए इलाज और नगीना को दी गई दवाईयों की जानकारी क्यों नहीं दी गई, क्लीनिक बंद करके क्यों भागा, मोबाईल बंद क्यों किया गया, इससे साफ प्रतीत हो रहा कि गलती कहा हुई और किसने की है। हमारी बेटी को अगर कोई लौटा सकता है तो लौटा दो हमें न्याय चाहिए

इनका कहना है।
अनुविभागीय अधिकारी राजस्व सिहोरा के आदेश पर उमा क्लीनिक की जांच 9 सितबंर को गठित दल द्वारा करके जांच रिर्पोट आज अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को अग्रिम कार्यवाही हेतु भेज दी गई है
जगभान शाह उईके, नायब तहसीलदार( जांच अधिकारी उमा क्लीनिक) सिहोरा

 

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सिहोरा में झोलाछाप ने लगाया इंजेक्शन, खून की उल्टी और युवती की मौत

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