द न्यूज 9 डेस्क।जबलपुर। सिहोरा गोसलपुर थाने अंतर्गत ग्राम कटरा रमखिरिया में सूखी बरने नदी में सिहोरा के दो और गोसलपुर के एक रेत माफिया द्वारा चलाई जा रही रेत खदान धसकने के हुए हादसे में खदान से रेत खोद रहे तीन मजदूर राजकुमार पिता कैलाश खटीक मुकेश पिता चगन लाल बंसकार एवं मुन्नी बाई पति चगन लाल बंसकार की मौत हो गई इस हादसे के बाद रेत माफियों को बचाने का भरपूर प्रयास करते हुए लगभग 6 दिनों बाद गोसलपुर पुलिस ने अवैध रेत खदान में शामिल सिहोरा भाजपा नगर मंडल अध्यक्ष अंकित तिवारी चिंटु ठाकुर और सोनू भदोरिया के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया। और एफआईआर में अंकित तिवारी का नाम सामने था परन्तु पुलिस ने जब मामले की चार्जशीट सिहोरा न्यायालय में पेश की तो चार्जशीट में अंकित तिवारी का नाम नहीं था बहुजन समाज पार्टी नगर अध्यक्ष सचिन बंशकार ने आरोप लगाया की मंडल अध्यक्ष ने मामले से अपना नाम अलग कराने अपनी फरारी के दौरान अपने साथियों को कटरा गांव भेज कर पीड़ितों के पैसा और भाजपा के रसूख के चलते बयान बदलने को मजबूर कर दिया।
पीड़ितो ने अस्पताल में बताया था कान्हा सरकार का नाम
घटना के दिन जब घायलों को सिहोरा के शासकीय अस्पताल ले जाया गया था तब पीड़ितों के परिजनों ने लाइव वीडियो में अपने बयान में कान्हा सरकार का खुलेआम नाम लिया था। और बाद में फिर एक वीडियो में पीड़ितों ने बताया था कि अंकित तिवारी की ट्राली रेत परिवहन के लिए अवैध रेत खदान से रेत का परिवहन करती थी। वहीं घटना के 10 दिन बाद गोसलपुर पुलिस के पहुंचने पर यह कथन दर्ज करते हैं कि वह किसी अंकित तिवारी या कान्हा सरकार को नहीं जानते
कटरा में रेत के अवैध खनन और उसका परिवहन में मंडल अध्यक्ष अंकित तिवारी की अहम भूमिका थी रेत के खनन में परिवहन के लिए इसकी ट्रॉली अवैध रेत लेने जाया करती थी। बसपा नेता ओम समद ने आरोप लगाया कि गोसलपुर पुलिस फरार अंकित तिवारी को पकड़ने के नाम पर केवल खाना पूर्ति करती थी और लौटकर कागज में आरोपित नहीं मिला दर्ज करवा देती थी।
भाजपा नेता ने अंकित का नाम हटाने बनाया था दबाब
गुप्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार एक भाजपा नेता द्वारा लगातार एसपी जबलपुर और एडीशनल एसपी ग्रामीण को कॉल करके अंकित को अपना चेला बताया जाता रहा और लगातार अंकित का नाम किसी भी तरीके से हटाने दबाब बनाया जाता रहा है। और फिर तरीका निकाला गया और दबाब में पीड़ितों के बयान बदलवा दिए गए जो पीड़ित पूर्व में अंकित तिवारी का नाम मीडिया और पुलिस के सामने ले रहे थे वही पीड़ित दबाब के चलते अब अंकित तिवारी को नहीं जानते और बेचारे पीड़ित अब दर दर की ठोकरे खाते मुआवजे की लिए दर दर भटक रहे है।
कटरा हादसे के बाद फरार हो गया था अंकित
कटरा रेत खदान हादसे के बाद अंकित तिवारी फरार हो गया था और जगह जगह छुपता फिर रहा था। और राजनीतिक संरक्षण के चलते पुलिस उस तक नही पहुँच पा रही थी। वहीं पीड़ितों के बयान दबाब में बदलवाने के बाद वापस आकर सफ़ेद पोश धारण कर राजनीति में लग गया था और खुलेआम सिहोरा खितौला में घूमता नजर आता था।
सिहोरा और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध खनन माफिया के नाम से प्रसिद्ध है अंकित
अंकित तिवारी पूर्व से ही सिहोरा गोसलपुर मझगवां खितौला क्षेत्र में अवैध उत्खनन और खनिजों की अवैध रूप से चोरी के लिए प्रसिद्ध रहा है। और जबलपुर के एक विधायक का आशीर्वाद पाकर मंडल अध्यक्ष बना और खुद को उनका चेला बताता है। वहीं इसके भाई कान्हा तिवारी पर वर्ष 2021 में खितौला थाना में रेत चोरी का मामला भी दर्ज है। तो वहीं अंकित का एक भाई पूर्व में एक हाइवा चोरी में भी लिप्त रहा है। वही अंकित तिवारी और उसके भाइयों पर पूर्व में भी दर्ज प्रकरण है जिसमे अंकित तिवारी पिता प्रहलाद तिवारी निवासी पालीवाल कालोनी खितौला के विरुद्ध अप, क्रं. – 273/19 धारा -294, 323,506, 34 भा, द, खितौला थाना अपराध , क्रमाक – 126/20 धारा 294,323,324,325, 188,506 ,34 का अपराध पंजीबद्ध है वर्तमान में न्यायालय में विचाराधीन है तो चोरी में धारा 379 414 आईपीसी वर्ष 2021 कान्हा तिवारी खितौला थाना में दर्ज है। मृतकों के परिजनों ने भाजपा के मंडल अध्यक्ष अंकित तिवारी पर खदान संचालन के सीधे आरोप लगाए थे उसके बाद भी पुलिस के अनुसार सोनू भदौरिया और चिंटु ठाकुर के द्वारा मजदूरी पर मजदूरों को लाया जाता था और रेट परिवहन में अंकित तिवारी का ट्रैक्टर डंपर इस्तेमाल होता था इस आधार पर कार्यवाही की जा रही थी वही लगातार 5 सालों से इस अवैध रेत खदान को संरक्षण देने वाले किसी भी प्रशासनिक अधिकारी पर कार्यवाही करने की प्रशासन की मंशा नजर नहीं आ रही थी अब देखने वाली बात यह होगी की भारी राजनीतिक दावों के चलते जिस मामले से शुरुआत हुई उसमें लीपापोती कर दी गई। और अब क्या कार्यवाही होती है।