द न्यूज़ 9 डेस्क।जबलपुर। जबलपुर के जिस ए आरटीओ संतोष पाल के पास बेहिसाब संपत्ति मिली उसके पास मिली बेहिसाब दौलत को वेनकाब करने की कहानी शुरू हुई 20 हजार की रिश्वत की मांग से और इसके मुख्य किरदार युवा वकील राजा कुकरेजा हैं। राजा अपने भाई की कार का रजिस्ट्रेशन कराने गए तो उनसे घूस मांगी गई। मना करने पर ए आरटीओ पाल अपना रंग दिखाने लगे । राजा ने उसी दिन ठान लिया कि एआरटीओ के भ्रष्टाचार का खुलासा कर के रहेंगे । इसके बाद लगभग 50 आरटीआई लगाईं। लोकायुक्त में शिकायत भी की लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। 11 महीने तक लंबी लड़ाई लड़ी, तब ए आरटीओ के यहां ईओडव्लू ने छापा मारा। संतोष पाल के यहां अब तक 21 करोड़ की संपत्ति मिल चुकी है। और गहन जाँच भी जारी है।

वकील राजा कुकरेजा के साथ ऐसा क्या हुआ जो?
वकील राजा कुकरेजा के भाई ने सितंबर 2021 में 80 हजार रुपए में सेकंड हैंड कार खरीदी थी। उसका रजिस्ट्रेशन समाप्त हो गया था। ऑनलाइन फीस जमा कर, रजिस्ट्रेशन रिन्यू कराने आरटीओ कार्यालय गया। वहां पर संबंधित बाबू ने 20 हजार रुपए रिश्वत मांगी। बाबू ने कहां की ये फाइल प्रभारी आरटीओ एआरटीओ संतोष पाल ही देखेंगे। फिर वकील साहब एआरटीओ साहब पाल के पास पहुंचे। एआरटीओ पाल ने बाबू के हिस्से का 5 हजार छोड़ देने की बात कहीं और कहा 15 हजार तो लगेंगे ही। वकील साहब ने वकील होने का परिचय भी दिया। इसके बावजूद इसके दबंगई से रिश्वत मांगी गई। इससे श्री कुकरेजा को गुस्सा आ गया। एआरटीओ से काफी बहस भी हुई। अपने सीनियर से भी बात कराई। इसके बाद श्री कुकरेजा बिना रजिस्ट्रेशन कराए वहां से निकल गए । तभी थान लिया था कि लिया था कि ए आरटीओ के भ्रष्टाचार को सामने लाकर रहूंगा। श्री कुकरेजा को लगा कि जब वे वकील होकर नियम-कायदे से अपना काम नहीं करा सकते, तो आम आदमी को कितनी परेशानी और दिक़्क़तों का सामना करना पड़ता होगा? इसके बाद वकील राजा कुकरेजा आरटीओ के भ्रष्टाचार को सामने लाने में लग गए। और फिर क्या था आरटीआई (सूचना का अधिकार) को हथियार बनाया। अक्टूबर 2021 से जनवरी 2022 के बीच आरटीओ की एक-एक संपत्ति का खोज खबर लेकर ब्यौरा निकलवाना शुरू किया। इसके लिए जबलपुर विकास प्राधिकरण, नगर निगम, डिंडोरी, हाउसिंग बोर्ड, विभिन्न तहसीलों में लगभग 50 आरटीआई लगाईं। कुछ में प्रथम अपील में जानकारी मिली तो कुछ में भोपाल तक अपील करने के बाद जानकारी मिल सकी। एआरटीओ की चल-अचल संपत्तियों का ब्यौरा आने के बाद फरवरी 2022 में लोकायुक्त एसपी संजय साहू के पास शिकायत करने पहुंचे। सभी दस्तावेज भी दिए। इसी तरह आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में भी शिकायत दी। दोनों एजेंसियों की ओर से अप्रैल तक कुछ कार्यवाही नहीं हुई।

हाईकोर्ट में दायर कर दी याचिका फिर?
अप्रैल 2022 में वकील श्री कुकरेजा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। हाईकोर्ट में पांच सुनवाई के बाद ईओडब्ल्यू को जांच के आदेश हुए। हाईकोर्ट ने 11 अगस्त तक कार्रवाई का अल्टीमेटम दिया। तब जाकर ईओडब्ल्यू हरकत में आई और भांडा फूट गया। हालांकि कार्रवाई की भनक एआरटीओ संतोष पाल को पहले ही लग गई थी। उसने काफी कुछ सामग्री जॉय स्कूल में पहुंचा दी थी।

यहाँ भी है एआरटीओ साहब की संपत्ति
श्री कुकरेजा के अनुसार एआरटीओ संतोष पाल ने दिल्ली में भी फ्लैट खरीदा है। उसने 52 एकड़ जमीन भी खरीदी है। कई प्लॉट और लग्जरी वाहन भी दूसरे के नाम पर खरीदे हैं। नगर निगम, जेडीए की कई दुकानें तक उसने अपने, पत्नी व मां के नाम पर खरीदी हैं। जांच के बाद शायद इन संपत्तियों का खुलासा ईओडब्ल्यू कर सकती है।एआरटीओ संतोष पाल के घर छापे में ईओडब्ल्यू की टीम को 16 लाख कैश और 650 ग्राम सोने के जेवर मिले तो वहीं संतोष पाल की पत्नी रेखा पाल उनके ही ऑफिस में क्लर्क है।
क्या है पूरा मामला
वकील राजा कुकरेजा द्वारा दायर याचिका(परिवाद) पर हाईकोर्ट के आदेश के बाद जबलपुर आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ने 17 अगस्त की रात एआरटीओ संतोष पाल के शताब्दीपुरम स्थित आलीशान घर, ग्राम दियाखेड़ा चरगवां रोड स्थित फार्म हाउस और स्कीम नंबर 41 प्लॉट व जीरो डिग्री विजय नगर में दबिश दी। ये कार्रवाई 18 अगस्त की सुबह होनी थी लेकिन जानकारी लीक होने से एआरटीओ सामान की शिफ्टिंग करने लगा था। अभी तक की कार्रवाई में उसके यहां से 16 लाख रुपए, 650 ग्राम सोने के जेवर, पीपी कॉलोनी ग्वारीघाट, शंकर शाह वार्ड, शताब्दीपुरम, कस्तूरबा गांधी वार्ड, गढ़ा फाटक में मकान मिला है । दीयाखेड़ा में डेढ़ एकड़ का फार्म हाउस मिला। दो कार, दो दोपहिया वाहन मिले। इसके अलावा बैंक लॉकर, बीमा आदि के दस्तावेज मिले हैं। अभी तक के खुलासे में 21 करोड़ से अधिक की संपत्तियां सामने आ चुकी है। 50 वर्षीय पाल जहां 2012 से एआरटीओ हैं, वहीं उनकी पत्नी रेखा पाल 1993 से जॉब में हैं। एआरटीओ ने वसूली के लिए पांच दलाल रखे थे।
संतोष पाल के लिए वसूली करने वाले 5 किरदार, सभी की जिम्मेदारी तय करके रखी गई थी। जिसमें
1 . निखिल : प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसी के मार्फत परिवहन दफ्तर जबलपुर में सुरक्षा गार्ड के पद पर पदस्थापना। ऑफिस ड्यूटी के बजाय एआरटीओ के लिए लाइसेंस के नए आवेदनों की स्क्रूटनी करता था।
2 . विनोद : व्हीकल ट्रांसफर सेक्शन में ड्यूटी। व्हीकल ट्रांसफर की सुविधा शुल्क लेने का काम करता था।
3 . सज्जू : व्हीकल फिटनेस सेक्शन – मूल काम फिटनेस सेक्शन के अफसरों और संपत्ति की सुरक्षा करना। लेकिन सज्जू यहां फिटनेस टेस्ट के लिए आने वाली गाड़ियों के फिटनेस सर्टिफिकेट इश्यू करने के नाम पर संतोष पाल के लिए सुविधा शुल्क लेना था।
4-5 . सौरभ-आयुष: ऑफिस में एआरटीओ की पत्नी रेखा पॉल के लिए काम करना। उसके सेक्शन के कामों के लिए ट्रांसपोर्टर्स और दूसरी कंपनियों से सुविधा शुल्क लेने का जिम्मा इन्हीं के पास था।अब देखना है कि अभी और कौन कौन से राज खुलने वाले है और ईओडब्लू जांच करके संतोष पाल के कौन कौन से बड़े कारनामों को उजागर करेगी,
र्सोसः- DBJ