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जर्जर हालत में आगनबाड़ी , जिम्मेदारों को नहीं फुर्सत, शायद कोई अन्होनी का हो रहा इंतजार

द न्यूज 9 डेस्क।जबलपुर।सिहोरा। सिहोरा के वार्ड क्रमांक  02 में अभी हाल ही में गत वर्ष आंगनबाड़ी का निर्माण ठेके पर कराया गया था। जिसके बाद उस आंगनबाड़ी की क्या वास्तविक हालत है। इसको देखने सुनने वाले जिम्मेदारों को अपनने ऑफिस की चार दिवारी से ही फुर्सत नहीं है। कि तनिक नजर भी मार ले कि नन्हे मुन्हे बच्चों के लिए संचालित सरकार की इस आंगनबांडी के क्या हालात है।

जर्जर हालत में अभी का निर्मित भवन
जर्जर हालत में अभी का निर्मित भवन

जर्जर हालत में अभी का निर्मित भवन

वार्ड के रहवासियों ने बताया कि अभी कुछ वर्ष पहले ही निर्मित वार्ड क्रं 2 राजेन्द्र वार्ड की आंगनबाड़ी केन्द्र क्रं 120 की स्थिती बत्तर हालातों में हैं हाथ लगाने से छपाई गिर रही है। आंगनबांडी की अनेक दिवारें जर्जर जैसे हो गयी है। फर्श पर लगी टाइल्से उखड़ रही है। और छत के भी यहीं हाल है। पानी की टंकी के लिए सप्लाई का कनेक्शन टूट गया है। पानी बहता रहता है। परंतु इन सब से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता यहां बच्चों को भेजने में तक डर लगने लगा है। क्योंकि कभी कोई हादसा या अन्होनी हो गयी तो कौन जिम्मेदार होगा। क्योकि जिम्मेदार तो दूसरी जिम्मेदारी में लीन है। जिसका किसी को नहीं पता।

ना महिला बाल विकास अधिकारी को फुर्सत और ना सेक्टर की सुपरवाइजर को समय

वार्ड के वासियों ने जानकारी में बताया कि पास में ही महिला एवं बाल विकास का कार्यालय है और इस विभाग के सभी अधिकारी कर्मचारी उसी आंगनबाड़ी वाले मार्ग से गुजरते है। परंतु भैया कहां किसी को फुर्सत वहां मौजूद जिम्मेदार महिला बाल विकास अधिकारी जबलपुर के रांझी से आना जाना करती है। और मप्र शासन लिखे वाहन से मैडम जी आती है और आकर अपनी चार दिवारी वाले ऑफिस में जाकर बैठ जाती है। और शाम को तय समयानुसार अपने घर के लिए निकल पड़ती है। वहीं हाल उनकी सिहोरा शहरी सेक्टर सुपर वाइजर रूची जग्गी मैडम का भी है। कब आती है कब नहीं क्या पता क्योंकि मैडम भी तो जबलपुर से ही आती है। और नन्हे मुन्हे बच्चों के विकास, और आंगनबांडी की स्थिती से उन्हे कोई मतलब कहां है। अगर होता तो ऐसे हालात नहीं होते।

रहना चाहिए मुख्यालय में पर जिम्मेदारों को क्या फर्क पड़ता है। सरकार है ना सब के लिए और सरकारी खजाना जिंदाबाद

वार्ड के रहवासियों का कहना है। कि महिला एवं बाल विकास विभाग मुख्य विभाग है। और इसके जिम्मेदार रोजाना जबलपुर से सिहोरा आना जाना करते है जबकि जिम्मेदारों को मुख्यालय में ही रहना चाहिए परंतु इनके द्वारा जिस वाहन से आना जाना किया जा रहा हैं वह अनुबंध पर है जिसका खर्चा सरकारी खजाने से जाता है और वाहन भी फील्ड के कार्याे के लिए दिया जाता है। परंतु यहां तो मैडम जबलपुर से सिहोरा अपडाउन कर रही है। क्योंकि सरकारी खजाना जिंदाबाद

ऐसे होगा बाल विकास

वार्ड के वासियों ने बताया कि ना तो मैडम को भवन की स्थिती देखने की फुर्सत है और ना शहरी सेक्टर की सुपरवाइजर मैडम को उन्होने बच्चों की  आंगनबाड़ियों  में जाकर कब क्या देखा या नहीं देखा पता नहीं क्योकि अगर देखा होता तो स्थिती और हालात कुछ और होते और बच्चों को दिया जाने वाले पोषण आहार सहित मानसिक विकास के लिए क्या प्रयास जारी है किसी को नहीं पता। और  पता नहीं किसके विकास पर ध्यान है

6 सुपरवाईजर पर कब कौन आता है पता नहीं

नगर में चर्चा है कि महिला एवं बाल विकास कार्यालय सिहोरा में 6 सुपरवाईजर है। जिसमें से 1 सिहोरा में रहकर अपना कार्य करतीं है। परंतु बाकी सुपरवाईजर मैडम कब आती है और कब जाती है कब फील्ड मै रहती है इसकी जानकारी तो किसी को नहीं पता। क्योकि फील्ड के काम को फील्ड वालों को पता होगा जबकि सप्ताह में 2 दिन विभाग में रहना पड़ता है। परंतु कब कौन आता है और कौन जाता है आखिर पूछने वाला है कौन। सरकारी विभाग है भैया धनीधोरी कहीं और लीन है।

सरकारी खजाने से हो रही सिहोरा में होली

सिहोरा वासियों ने सीधे तौर पर आरोप लगाते हुए कहा कि सिहोरा तहसील के जितने भी जिम्मेदार अधिकारी है ज्यादातर विभागों के प्रमुख जबलपुर से सिहोरा आना जाना कर रहे है। और फील्ड पर उपयोग के लिए प्रदान किए गए अनुबंध वाले वाहन का उपयोग अपडाउन में करते है और सीधे सरकारी खजाने की होली खेली जा रही है। जिसपर कलेक्टर जबलपुर को शायद इस ओर ध्यान देकर कठोर कदम उठाना चाहिए। और इन वाहनों की लॉकबुक की जांच कराई जाए की आखिर लॉकबुक कैसे भरी जा रही है। और मुख्यालय में रहकर कार्य करने में कौन सी अडचन है। पता नहीं।

 

 

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