सच की आवाज़.

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बिना रजिस्ट्रेशन और डिग्री की चल रहे आदि संस्कार हॉस्पिटल के कुछ अनसुलझे सवाल, और गर्भपात सेंटर का पूरा काला सच

द न्यूज 9 डेस्क।जबलपुर। सिहोरा के मुख्य मार्ग के किनारे अवैध रूप से संचालित आदि संस्कार हॉस्पिटल को गत दिवस प्रशासन ने कार्यवाही करते हुए सील कर दिया परंतु अपने आप को डॉ बताने वाली प्रीती केवट और उसके द्वारा संचालित आदि संस्कार हॉस्पिटल ने  कुछ अनसुलझे सवाल खड़े कर दिए है। जिसे आप सभी को जानना बहुत जरूरी भी है।
कार्यवाही के दौरान प्रीती केवट द्वारा शासकीय डॉ. लक्ष्मण शाह का नाम लेकर अस्पताल श्री शाह का होना क्यों बताया ?
सालों से गुपचुप तरीके से संचालित इस गर्भपात के अस्पताल की जानकारी प्रशासन तक क्यों नही पहुंची और यह काला धंधा कितने दिनों से चल रहा था? और किसकी मिलीभगत से चल रहा था?
अस्पताल में जप्त सामग्री जिन्हे आप तस्वीरों में देख सकते है।


गर्भपात और डीलेवरी कराने में उपयोग होने वाली स्ट्रेचर, सर्जीकल ब्लेड, सरकारी सप्लाई की दवाईयां, ब्लड की थैली, सुन्न करने वाले इंजेक्शन, चढाई गई खाली बोतल, आखिर बिना पंजीयन, बिना डॉक्टर वाले अस्पताल में क्या कर रहे थे?
आखिर दूसरे शहरों से ही अधिकतर गर्भवती महिलाएँ यहां कौन सा इलाज कराने आती थी?
सरकारी सप्लाई की सरकारी दवाईयां कहां से इस अस्पताल तक पहुंची, और उसका सप्लायर कौन था?
18000( अठारह हजार रूपये ) के किराया के भवन पर संचालित इस अवैध अस्पताल ने कितने मरीजों की जान से खिलवाड़ किया। और इतने बड़े किराया पर तो कोई कलीनिक बिना पंजीयन बिना डॉक्टर के नहीं चलाएगा, कुछ संदिग्ध तो जरूर होता था?
ढीमरखेड़ा और पान उपरिया रोड पर भी चलता रहा प्रीती केवट का क्लीनिक डॉ बनकर लगाती रही कैंप
प्राप्त जानकार के अनुसार ढीमरखेड़ा पान उमरिया मार्ग पर ममता क्लीनिक के नाम से इस प्रीती केवट के द्वारा एक क्लीनिक संचालित किया जाता रहा हैं और साथ उसका पंजीयन भी है या नहीं वहां भी क्या गर्भपात सेंटर चलता है। इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है। और साथ ही आपको जानकारी के लिए बता दे कि इस प्रीती केवट के द्वारा ढीमरखेड़ा के आसपास और ग्रामीण क्षेत्रों में कैंप लगाए जाते रहे है। तो वहां कौन से कैंप और कौन सा इलाज किया जाता रहा इसका जबाव किसी के पास नहीं है।
मतलब साफ है। कि अवैध रूप से सिहोरा में गर्भपात का अस्पताल संचालित था। और जप्त सामग्री रिकार्ड और रिर्पोट के अनुसार माने तो प्रीती केवट 5 से 7 माह तक की गर्भवती महिलाओं के गर्भपात तक मरीजों की जान से खेलकर करती थी, और उनमें से कितने जिंदा हैं और कितने मुर्दा यह तो किसी को नहीं पता

स्वास्थ्य विभाग की कार्यवाही बिना पंजीयन का अस्पताल सील

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