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निजी स्कूलों की मनमानी, ना ही पार्किग व्यवस्था ना ही खेल मैदान, फिर भी खंडहरों में धड़ल्ले से संचालित हो रहे निजी स्कूल, मान्यता पर उठ रहे सवाल

द न्यूज 9 डेस्क।जबलपुर।सिहोरा। इन दिनों जहां एक तरफ जबलपुर कलेक्टर एवं शिक्षा विभाग के सख्त रवैया और तावडतोड कार्यवाहियों से निजि स्कूल संचालकों में हडकंप मचा हुआ है। वहीं शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर बहुत बड़ा सवाल इन दिनों खड़ा हो रहा है। तहसील सिहोरा अंतर्गत खितौला का रोचक मामला प्रकाश में आया है जहां घरों और एक पुराने बीड़ी कारखाना के भवन मंे कक्षा नर्सरी से बारहवीं तक का स्कूल वर्तमान में संचालित हो रहा है। इसी भवन में पूर्व में एक बीड़ी कारखाना हुआ करता था। जिसे एक निजी प्रायवेट स्कूल में बदल दिया गया और वाह रे जिम्मेदार अधिकारी जिन्होने मापदंड़ों को दरकिनार करके पुराने बीड़ी कारखाने के भवन में ही स्कूल चलाने की अनुमति भी प्रदान कर दी, जबकि किसी निजी प्रायवेट स्कूल को संचालित करने के लिए 24 प्रकार के मापदंड़ों के आधार पर स्कूल संचालित करने की अनुमति दी जाती है। परंतु एक बीड़ी कारखाने के भवन को चमकाकर स्कूल बनाकर कितने मापदंड़ो का पालन को रहा होगा और अनुमति कैसे दे दी गई होगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
क्या मिली भगत और सेटिंग से चढोत्तरी चढ़ाकर मिल जाती है। मान्यता
घरों एवं बीड़ी कारखाना में स्कूल संचालित करने को लेकर जब मान्यता को लेकर जब जानकारी जुटाई गई तो नाम न छपने की शर्त पर एक व्यक्ति ने बताया की शिक्षा विभाग द्वारा निधार्रित मापदंड़ों की यह स्कूल पूर्ति नहीं करता और केवल सेंटिग और चढोत्तरी की दम पर इस स्कूल को मान्यता देदी गई है। और अगर जांच कराई जाए तो अनेक चेहरे सामने आएगे।

छोटे छोटे केबिन बनाकर लगा लिए बड़ा बोर्ड और बन गया स्कूल
प्राप्त जानकारी के अनुसार इस स्कूल में स्कूल प्रबंधन द्वारा पहले भवन पर मरम्मत कराकर रंगाई पुताई करा दी गई और बड़ा बोर्ड लगाकर छोटे छोटे केबिन बनाकर आफिस और अनेक विभाग बना लिए गए है और कागजों में तो पर्याप्त संसाधन और पर्याप्त स्थान भी उपलब्ध होगा और कागजों में पार्किंग और खेल मैदान भी बहुत बड़ा होगा परंतु वास्तव में मौके पर पुराना बीड़ी कारखाना ही मिलेगा जो अब स्कूल बना दिया गया है।
पुराना बीड़ी कारखना आर्थात निजी स्कूल में न पार्किंग व्यवस्था और न खेल मैदान
खितौला के इस निजी स्कूल में न ही पार्किग की व्यव्स्था है । ना ही खेल मैदान है और स्कूल प्रबंधन अपनी बसों को खितौला के मस्जिद मार्ग को जाने वाली सड़क में ही खड़ा करा देता है, और जिम्मेदारों की आंख में पट्टियां बंधी है और उन्हे सभी मापदंड सही नजर आते होगे।

जर्जर हालत में है कक्षाएँ
प्राप्त जानकारी के अनुसार स्कूल में लग रही कक्षाओं की हालत जर्जर और खंडरनुमा है। जिसमें  धड़ल्ले से कक्षाएँ लगाई जा रही है। और स्कूल संचालित किया जा रहा है।

रद्द की जाए मान्यता
नगर के गणमान्य जनों ने कलेकटर जबलपुर, सयुक्त संचालक शिक्षा विभाग, जिला शिक्षा अधिकारी जबलपुर, से मांग की है। कि नियम विरूद्ध चल रहे ऐसे स्कूलों पर केवल कागजी खानापूर्ति न करके कठोर कार्यवाही करते हुए ऐसे स्कूलों की मान्यता रद्द की जाए।
इनका कहना है।
अभी कलेक्टर के आदेश पर किताबों और स्कूल यूनिर्फाम पर जांच जारी है। उसी के साथ इन चिजों का सख्ती के साथ संज्ञान लिया जाएगा।
अरविंद धुर्वे, विकास खंड शिक्षा अधिकारी, सिहोरा,

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