द न्यूज 9 डेस्क।जबलपुर। सिहोरा। भूमि समाधि सत्याग्रह आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय के संघर्षों की याद दिलाता है, लेकिन यह आंदोलन एक नई दिशा में जनता की जागरूकता और स्थानीय स्वायत्तता के लिए लड़ा जा रहा है। यह आंदोलन विशेष रूप से मध्यप्रदेश के सिहोरा क्षेत्र में हो रहा है, जहां के लोग जिले के रूप में सिहोरा की मान्यता की मांग कर रहे है। यह आंदोलन न केवल स्थानीय जिला मुद्दे का प्रतिनिधित्व करता है, बल्कि नागरिक अधिकारों और विकास के प्रति जागरूकता का भी प्रतीक बन गया है।
आंदोलन का प्रारंभ
सिहोरा, जो पहले जबलपुर जिले का हिस्सा है, यहां के लोग अपनी ज़रूरतों और स्थानीय प्रशासन की समस्याओं से जूझ रहे है। क्षेत्र के विकास की गति धीमी है और जनसुविधाओं का अभाव है। इस वजह से स्थानीय लोगों ने सिहोरा को एक स्वतंत्र जिला बनाने की मांग उठाई है। यह मांग इस तथ्य पर आधारित है कि सिहोरा की भौगोलिक स्थिति, जनसंख्या, और विकास की संभावनाओं के आधार पर इसे एक अलग जिला बनाने का समुचित कारण उपलब्ध है।
भूमि समाधि सत्याग्रह का महत्व
भूमि समाधि सत्याग्रह का महत्व इस दृष्टिकोण से बढ़ जाता है कि यह सत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धांतों का पालन करते हुए किया जा रहा है। जब प्रशासन ने जिला मांग आंदोलन की लगातार अनदेखी की और मांग को नजरअंदाज किया, तो स्थानीय जनों और नागरिकों ने भूमि समाधि लेने का फैसला किया है। यह एक गंभीर और निर्णायक कदम है, जिससे न केवल आंदोलनकारियों की दृढ़ता का प्रमाण मिलता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि लोग अपनी ज़मीन, अपनी पहचान, और अपने अधिकारों के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।
भूमि समाधि का अर्थ यह होगा कि आंदोलनकारी ने शारीरिक रूप से भूमि में समाधि लेकर यह संदेश देंगे कि वे अपनी मांगों के लिए अंतिम समय तक संघर्ष कर सकते है। यह आंदोलन न केवल सिहोरा के लोगों की भावनाओं का प्रतीक बनेगा, बल्कि यह पूरे मध्यप्रदेश में स्थानीय मुद्दों और प्रशासनिक सुधार की आवश्यकता को भी रेखांकित करने वाला होगा।
आंदोलन के परिणाम और प्रभाव
भूमि समाधि सत्याग्रह आंदोलन राज्य सरकार को यह समझाने का ठोस लोकतांत्रिक प्रयास होगा कि सिहोरा जिला की मांग जायज़ है।यह आंदोलन केवल सिहोरा के लोगों के लिए नहीं, बल्कि अन्य छोटे क्षेत्रों के विकास को भी गति देने वाला होगा।जिन्होंने अपनी स्थानीय समस्याओं के समाधान के लिए संघर्ष किया है।
निष्कर्ष

निष्कर्ष
भूमि समाधि सत्याग्रह आंदोलन में यदि जनता की आवाज़ एकजुट होती है, तो सरकार उसे अनदेखा नहीं कर सकती। सिहोरा वासियों को आगे आकर यह दिखाना होगा कि कैसे लोगों की इच्छा, उनके अधिकारों और पहचान के प्रति उनकी निष्ठा प्रशासनिक और राजनीतिक ढांचे में बदलाव ला सकती है।
सिहोरा वासियों को आगामी 26 अक्टूबर 2025 को भूमि समाधि सत्याग्रह में बढ़-चढ़कर शामिल होकर सरकार को यह बताना ही होगा कि सिहोरा वासी केवल उनके सुरक्षित वोट बैंक नहीं है ,अपने अधिकारों के प्रति सजग है और अपनी जन्मभूमि कर्मभूमि के लिए किसी भी हद तक जाने की क्षमता रखते हैं।
विचार, नंद कुमार परौहा,सिहोरा









