सिहोरा से लेकर जबलपुर तक के किसी अधिकारी को नही जानकारी, आखिर क्या है पूरा मामला देखे खबर
द न्यूज 9 डेस्क। जबलपुर। जबलपुर जिले की सिहोरा तहसील के प्रवेश द्वारा के आगे नेशनल हाइवे 30 के पीछे एक निजी भवन की गैलरीनुमा कमरे में संचालित एक अस्पताल में नवजात शिशु की मौत की खबर पर जब खबर की वास्तविकता पता करने द न्यूज 9 की टीम मौके पर पहुंची तो हालात होश उड़ा देने वाले थे। आखिर क्या था पूरा मामला और क्या है इस अस्पताल की सच्चाई।
पूरा मामला नेशनल हाईवे क्रं 30 के पीछे सिहोरा के प्रवेश द्वार के आगे संचालित आदि संस्कार हॉस्पिटल का है जो एक निजी भवन की गैलरी नुमा एक दुकान में बिना पंजीयन के संचालित हो रहा है और इस संचालित अस्पताल की जानकारी ना ही सिहोरा के किसी अधिकारी को थी और ना ही जबलपुर के स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों को इसकी भनक थी और चोरी छीपे काले कारनामों को अंजाम दिया जा रहा था।
मौक पर पहुंची न्यूज टीम ने आंखों देखे हालात में बताया कि एक गैलरी नुमा कमरे के अंदर एक पलंग पर एक महिला आराम कर रही थी और उसी के साथ पलंग पर एक महिला बैठी थी और ठीक सामने एक कुसी पर महिला बैठी थी जिसने अपना नाम पीड़ित के परिजनों को डॉ प्रीती केवट बताया था। और जब हमारी टीम ने सब जानकारी जुटाई तो राज उजागर हुए कि पलंग पर आराम कर रही महिला का नाम परिजनों ने दुर्गा बताया जो जबेरा से किसी डॉक्टर द्वारा सिहोरा के आदि संस्कार हॉस्पिटल में इलाज के लिए भेजी गई है, और वह गर्भवती थी, और उसके गर्भ में पल रहे नवजात की गर्भ में ही मौत हो चुकी है और उसे जबेरा से सिहोरा इलाज के लिए भेजा गया है। तो हमारी टीम ने जब और जानकारी जुटाने का प्रयास किया तो अस्पताल में भर्ती उस महिला को वहां से भगा दिया गया और वह दर्द से तड़पती गर्भवती महिला अस्पताल के बाहर आकर फुटपाथ किनारे परिनजों के साथ जमीन पर बैठ गई और थोड़ा देर बाद राज उजागर ना होने के डर से उस पीड़ित महिला सहित परिजनों को डराकर वहां से भगा दिया गया।
सिहोरा के इस अस्पताल में गर्भवती का कौन सा इलाज होता जो किसी बड़े अस्पताल में संभव नही था।
जबलपुर मझौली पाटन और सिहोरा के बीच अनेक बड़े सरकारी और प्रायवेट अस्पताल हैं। परंतु इस आदि संस्कार हॉस्पिटल की जबेरा से क्यों रेफर करके भेजा गया जब यह बात हमारी टीम को हज़म नहीं हुई तो फिर थोड़ा अस्पताल और उसमें संचालित गतिविधियों की नब्ज़ टटोली गई तो सिहोरा में चल रहे इस अवैध अस्पताल की आड़ में गर्भपात सेंटर का पूरा सच उजागर हुआ। तो तत्काल की जबलपुर क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवाएँ एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर संजय मिश्रा से संपर्क किया गया तो पता चला की आदि संस्कार हॉस्पिटल के नाम से कोई अस्पताल संचालन की उन्हे जानकारी ही नहीं थी और बिना पंजीयन के ही यह अस्पताल संचालित किया जा रहा है। और वह भी सिहोरा के प्रमुख्य मार्ग के ठीक किनारे और सिहोरा में ऐसा कैसे की दूसरे शहरों से सिहोरा में इलाज के लिए पीड़ित को रेफर करके भेजा गया हो यह बात किसी के गले नहीं उतर रही थी। जिससे पर्दा उठते समय नहीं लगा और परिजनों से खुद अपनी बोलचाल की भाषा में ही बता दिया कि बच्चा गिराने ही इस अस्पताल में भेजा गया है।
परिजनों से प्राप्त जानकारी के अनुसार
महिला के साथ आए परिजनों ने बताया कि पीड़ित गर्भवती महिला का नाम दुर्गा है जो गर्भवती थी जिसके इलाज के लिए जबेरा से हमलोग सिहोरा के आदि संस्कार अस्पताल आए और यहां से एक सोनोग्राफी सेंटर भेजा गया जहां सोनोग्राफी कराकर बताया गया कि गर्भवती के पेट में पल रहे बच्चे की मौत हो चुकी है, अस्पताल में गर्भवती महिला दुर्गा को भर्ती किया गया है जहां उसका आगे का इलाज किया जा रहा हैं
इससे आदि संस्कार हॉस्पिटल में चल रहे काले कारनामें की तस्वीर और साफ हो गई, कि गर्भ में पल रहे शिशु की मौत के बाद भी अस्पताल में भर्ती करके कौन सा इलाज किया जा रहा था। मतलब साफ है। कि अस्पताल में गर्भपात कराने जबेरा से सिहोरा भेजा गया था । उक्त जानकारी परिजनों ने मीडिया से बताई।
ना अस्पताल का पंजीयन ना डॉक्टर का पता बस एक कमरा और नाम हॉस्पिटल
इस संबंध में जब सीएमएचओ संजय मिश्रा ने जानकारी देते हुए बताया कि आदि संस्कार नाम से किसी भी अस्पताल की जानकारी और पंजीयन हमारी जानकारी में नहीं और और यह अस्पताल कौन संचालित कर रहा है। यह भी नहीं पता और मौके पर उपस्थित आमजनो की माने तो एक गैलरीनुमा कमरा और बाहर लगा एक बोर्ड बस और ना डॉक्टर का नाम ना पता और चल रहा अस्पताल
ऐसे में सवाल स्वाभाविक है। कि जबेरा से सिहोरा रेफर करके उस गर्भवती महिला का कौन सा इलाज किया जाता जिसके गर्भ में पल रहे बच्चे की मौत हो चुकी हो जबकी जबलपुर से लेकर जबेरा तक अनेक सरकारी और निजी अस्पताल है। तो सिहोरा ही क्यों – तो जबाव भी सीधा और सरल है कि उस महिला को अवैध रूप से संचालित उस अस्पताल में अवैध रूप से गर्भपात कराने भेजा गया और यह सब किसकी मिलीभगत और किसके इशारों पर कितनों की दुकाने इस गर्भपात सेंटर से कितने दिनों से चल रही यह तो जिम्मेदारों को तक नहीं पता।
सिहोरा शासकीय अस्पताल के पास भी छोड़ रखे है दलाल
गुप्त सूत्रों की माने तो उक्त अस्पताल संचालक ने सिहोरा तहसील के बाहर के अलावा शासकीय सिविल अस्पताल के पास अपने दलालों को छोड़ रखा है जो निजी क्लीनिकों में कार्य करते है। और उन्हे जैसे ही कोई अनैतिक और अवैध रूप से गर्भवती महिला की जानकारी लगती है जो बच्चें का गर्भपात अवैध तरीके से कराना चाहती है। तत्काल दलालों द्वारा एक निजी सोनोग्राफी सेंटर में ले जाकर उसकी सोनोग्राफी कराकर उस महिला को उस गर्भपात वाले अस्पताल में पहंुचा दिया जाता हैं और आगे का कारनामा अस्पताल संचालक द्वारा मुंहमांगी रकम लेकर रच दिया जाता हैं और किसी को खबर भी नहीं होती इस सब के एवज में उन दलालों को मोटी रकम भेंट कर दी जाती है।
इनका कहना है।
उक्त अस्पताल की जानकारी प्राप्त हुई है। आदि संस्कार हॉस्पिटल के नाम से कोई भी पंजीकृत अस्पताल सिहोरा में नहीं हैं इसका संचालक बिना जानकारी के किया जा रहा हैं जिसके लिए सिहोरा सीबीएमओ डॉ अर्षिया खान को निर्देषित किया गया है। जांच कर कठोर कार्यवाही की जाएगी।
डॉक्टर संजय मिश्रा, संयुक्त संचालक स्वास्थ्य विभाग, जबलपुर
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